1 अप्रैल को भारतीय रिज़र्व बैंक का स्थापना दिवस मनाया जाता है, इसकी स्थापना 1 अप्रैल, 1935 को की गयी थी।
RBI से पहले, केंद्रीय बैंक के सभी कार्य इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial Bank of India) द्वारा किए जा रहे थे। इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1920 के माध्यम से इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना 1921 में हुई थी, जिसने तीन प्रेसीडेंसी बैंकों को एक मजबूत बैंक में मिला दिया था। इस बैंक को देश के संभावित मंडी शहरों में अगले 5 वर्षों में 100 शाखाएं खोलने का निर्देश दिया गया था। इस बैंक को केंद्रीय बैंक बनाने के विचार के साथ बनाया गया था और इसे केन्द्रीय बैंक के सभी कार्यों का निर्वहन करने की अनुमति दी गई थी। मुद्रा और क्रेडिट, सार्वजनिक ऋण, सरकारी प्राप्तियां और संवितरण, प्रबंधन और प्रतिभूतियों और बांड, बैंकरों के बैंक आदि का कार्य इसे सौंपा गया था। बाद में हिल्टन यंग कमीशन (Hilton Young Commission) ने सिफारिश की कि केंद्रीय बैंक को अलग से बनाया जाना चाहिए।
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई थी। शुरू में रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था लेकिन 1937 में स्थायी रूप से इसे मुंबई में हस्तांतरित कर दिया गया था। केंद्रीय कार्यालय वह स्थान है, जहां गवर्नर बैठता है तथा जहां नीतियां तैयार की जाती हैं। 1949 मे राष्ट्रीयकरण के बाद से रिज़र्व बैंक पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है।
स्वतंत्रता के बाद, सरकार ने Reserve Bank (Transfer to Public Ownership) Act, 1948 पारित किया और निजी शेयरधारकों को उचित मुआवजे का भुगतान करने के बाद आरबीआई को अपने नियंत्रण में ले लिया। इस प्रकार, आरबीआई का राष्ट्रीयकरण 1949 में हुआ और 1 जनवरी, 1949 से आरबीआई ने सरकारी स्वामित्व वाले बैंक के रूप में काम करना शुरू किया ।